मिली भगत सरकार से है
शायरी | ग़ज़ल इरफ़ान अलाउद्दीन15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122
मिली भगत सरकार से है
यहाँ लोग बेकार से हैं
नहीं है गिला मुझ को तुम से
यहाँ अपने अख़बार से हैं
उन्हें अपना हम क्यों कहेंगे
जिन्हें लगते हम ख़ार से हैं
बुराई नहीं है मिरे में
यही बात दिलदार से है
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