अपने पास न रखो
शायरी | ग़ज़ल अमित राज ‘अमित’14 Jan 2016
अपने पास न रखो मुझे तस्वीर की तरह,
कभी निकल जाऊँगा हाथ से तीर की तरह।
कभी निकलो जो इधर, दीदार करा जाना,
लटका पड़ा हूँ राह में, ज़ंजीर की तरह।
मेरी हालत तो अब हो गई, कुछ इस क़दर,
बरसों पुरानी धुँधली तहरीर की तरह।
मुझे छूने की चाह की, दाग़ लग जायेगा,
मैं ख़ाक हुआ हूँ, जलती तस्वीर की तरह।
बताओ किस क़दर तुम मुझे बुलन्द करोगे,
मैं थम सा गया हूँ, फूटी तक़दीर की तरह।
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