बेटियाँ किस लोक में जाएँगी रहने के लिए
शायरी | ग़ज़ल अंजना वर्मा1 May 2025 (अंक: 276, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
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बेटियाँ किस लोक में जाएँगी रहने के लिए
उड़ रहे हैं बाज़ चिड़ियों पर झपटने के लिए
मृत्यु थी बेहतर, कि पाई यातना हद से अधिक
दुख-भरी अब है कहानी सिर्फ़ कहने के लिए
नर-पिशाचों का निशाना बन गई मासूम वह
लाज का धागा बचा ना तन को ढँकने के लिए
देह पर थे क्रूरतम दुष्कर्म के इतने निशां
कह रहे थे चीखकर इंसाफ़ करने के लिए
लाज भी लज्जा से धरती में समाकर छुप गई
पास करुणा के न थे कुछ शब्द कहने के लिए
एक नारी देह की दारुण कथा जिसने सुनी
सुनके आँखों में बचे आँसू न बहने के लिए
बात कँगूरों की क्या हो नींव जब हिलने लगी
उठो! अब इंसान की पहचान करने के लिए
जानवर भी हो न सकते क्रूर मानव से अधिक
आदमी सबसे बड़ी गाली है देने के लिए
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