जाड़े से बचाव
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता अंजना वर्मा23 Jan 2019
बकरी रानी ने पहनी है
एक पुरानी कार्डिगन।
जाड़ों में अब हवा चली है
बेध रही है सन्- सन्- सन्।
उजला कुत्ता चरखाने की
जैकेट में इठलाता है।
गैया - बछड़े का जोड़ा
बोरे से काम चलाता है।
भौं- भौं करनेवाले सच ही
कितनी इज़्ज़त पाते हैं!
जीवन रचनेवाले तो
अक्सर ही चुप रह जाते हैं।
त्याग हुआ करता है गूँगा
नहीं माँग पाता है दाम।
और बोलने वाले को भी
पड़ता है त्यागी से काम।
अपना तो आहार दानकर
बछड़ा चुप रह जाता है,
वही दूध पीकरके कुत्ता
वफ़ादार कहलाता है।
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