पानी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता अंजना वर्मा23 Jan 2019
पानी ही तो जीवन है
यह जीवन की धड़कन है।
नदियाँ माताएँ हैं सबकी
इनसे ही है गाँव- शहर,
इनको गंदा करके तो हम
रोज़ पी रहे सुनो ज़हर।
नदियों में कचरा ना डालो,
यही तो असली पूजन है।
पानी जीवन का रखवाला
तन में पानी बहता है।
इसके बिना सोचकर देखो
प्राणी क्या जी सकता है?
जल की सदा ज़रूरत होगी
इनसे बादल- जलकण हैं।
पाँच तत्व रचते हैं सबको
उनसे ही सारे प्राणी।
एक तत्व जो व्याप्त सभी में
अखिल धरा में वह पानी।
जल - स्रोतों को चलो बचाएँ
अमृत है, असली धन है।
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