भूमि-पूजन
कथा साहित्य | लघुकथा अंजना वर्मा15 May 2020 (अंक: 156, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
आज मशहूर बसेरा बिल्डर्स के नये अपार्टमेंट के भूमि-पूजन समारोह में शहर के नामी-गिरामी लोगों का हुजूम सुंदर-सुवासित परिधानों में जुटा हुआ था। जिस ज़मीन पर इस अपार्टमेंट की नींव रखी जाने वाली थी, वह कई एकड़ लंबी-चौड़ी लीची बागान की ज़मीन थी जहाँ से हज़ारों पेड़ों को काटकर हटा दिया गया था। अब वह वृक्षरहित धरती निर्माण के प्रथम चरण के रूप में पसरी दिखाई दे रही थी। निर्माण-स्थल के सामने एक और लीची बागान था, जो अभी ज्यों का त्यों हरा-भरा था।
इस समारोह में रमेश भी आमंत्रित था। जैसे ही पूजा प्रारंभ हुई, सामने वाले बगीचे से चिड़ियों का शोर सुनाई देने लगा जो मंत्रध्वनि के साथ स्वर मिलाता प्रतीत हो रहा था। सभी का ध्यान उधर आकर्षित हो गया और वहाँ उपस्थित स्त्रियाँ एक-दूसरे को ख़ुश होकर देखने लगीं। उनमें से एक बोल उठी - "देखो, ये पंछी आशीर्वाद दे रहे हैं।"
दूसरी ने कहा- "हाँ, ऐसा ही लगता है।"
पर रमेश ने सोचा क्या सचमुच ऐसा ही है? पंछियों का शोर उसके कानों से होकर दिल में उतर गया और किसी कीड़े की तरह कुरेदने लगा। पूजा में वह अनमना बैठा रहा और निर्माण-स्थल की सूनी भूमि को देखता रहा। सोचता रहा कि यहाँ के जो पेड़ कटे, उन पर नीड़ बनाकर रहने वाले पंछी कहाँ गये होंगे?
उनके अंडों-बच्चों का क्या हुआ होगा? वह चुपचाप उठकर चल दिया। वह शोर हमेशा के लिए उसके अंतर में बस गया था।
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