नये सफ़र की राह में, कोई मुझे मिला नहीं
शायरी | ग़ज़ल सुशांत चट्टोपाध्याय ‘सफ़ीर’1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
नये सफ़र की राह में, कोई मुझे मिला नहीं
बुझे है आस के दिये, मगर कोई गिला नहीं
मैं ग़मज़दा भटक रहा, पयाम-ए-दर्द को लिये
ग़मों का हमसफ़र बना, क्यों ज़िन्दगी जिया नहीं
ये कौन आ गये यहाँ, ये अब्र-ए-दुश्मनी लिए
बरस रहीं हैं तल्ख़ियाँ, निदा-ए-दिल सुना नहीं
नमी छुपी थी आँख में, लगा रहा था जब गले
हिदायतों के बीच में, पिता का दिल छुपा नहीं
चमन को ऐतबार था, वो बूँद आएगी कभी
ख़िज़ां के साज़-ओ-वार से, वो गुल कभी खिला नहीं
‘सफ़ीर’ कुछ असर तो हो, इलाज-ए-ग़म करो अभी
क्यों दौर-ए-आश्नाई का, असर मुझे दिखा नहीं
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं