धड़कन ज़रा रूहानी रखना
शायरी | ग़ज़ल सतीश उपाध्याय1 May 2023 (अंक: 228, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
सुनो सियासतदारो, तुम सब,
ज़रा आँख में पानी रखना
तंग गली की बस्ती ख़ातिर
दिल में सदा रवानी रखना
कई मानते तुम्हें मसीहा
और कहें कुछ तुम्हें देवता
चौपालों में सुना सके जो
भीतर एक कहानी रखना
राजसिंहासन में हो क़ाबिज़
बेशक है अब ऊँचा क़द
लेकिन बिरजू, धनिया, कजरी
सब की याद सुहानी रखना
कितनों को बाँटी है रोटी
कितनों के पोंछे हैं आँसू?
कहाँ-कहाँ मुस्कान बिखेरी?
उत्तर याद ज़ुबानी रखना
उन आँखों में ‘अश्क’ देख कर
समझ न लेना शबनम तुम
बहुत फ़र्क़ है इन दोनों में
धड़कन ज़रा ‘रूहानी’ रखना
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता
गीत-नवगीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं