नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
शायरी | ग़ज़ल देवी नागरानी15 Sep 2025 (अंक: 284, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
2122 2122 2122 212
नाम तेरा नाम मेरा कर रहा कोई और है
ख़ालीपन जीवन हर पल भर रहा कोई और है
जीना मरना जागना सोना लगे सपना मुझे
मेरे भीतर जीते जी क्यों डर रहा कोई और है
क्या मेरी पहचान है, क्या जात क्या औक़ात क्या
नेक नामी संग मेरे कर रहा कोई और है
रफ़्ता रफ़्ता चलते चलते नक़्शे पा जो थे मिले
हम क़दम हो हर क़दम पग धर रहा कोई और है
पंख घायल है परिंदा ऊँचा उड़ सकता नहीं
बेख़बर बेकस है वो, पर बाख़बर कोई और है
तुम लिखो बिल्कुल लिखो पर यह हक़ीक़त याद हो
सोच तेरी शब्द उसमें भर रहा कोई और है
कश्ती जो लाया किनारे कौन है सब जानते
बेख़बर ‘देवी’ मगर रखता ख़बर कोई और है
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