एक था हाथी, एक थी हाथिन
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता देवी नागरानी15 Dec 2025 (अंक: 290, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
आओ आओ गुड़िया रानी
तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी
एक था हाथी, एक थी हाथिन
दोनों निकले पीने पानी
हाथिन ने जल पी लिया जब
हाथी ने कुछ मन में ठानी
पानी भरकर सूँड़ में अपनी
राह चले जानी पहचानी
चलते चलते राह में देखा
बिन पानी इक चिड़िया प्यासी
पास में जाकर हाथी ने तब
भरा हुआ बरसाया पानी
ख़ुश होकर के देखने वाले
ताली बजा बजाकर नाचे
हाथी बन का बना है राजा
हाथिन उसकी हुई है ‘रानी’
आओ आओ गुड़िया रानी
तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी
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