तेरी हर बात पर हम ऐतबार करते रहे
शायरी | ग़ज़ल दीपक शर्मा 'दीपक’1 Aug 2014
तेरी हर बात पर हम ऐतबार करते रहे
तुम हमें छलते रहे, हम तुमसे प्यार करते रहे।
कोशिशें करते तो मंज़िल ज़रूर मिल जाती
मगर अफ़सोस तुम वायदे हज़ार करते रहे।
नाम उनको भी मेरा याद तलक नहीं आया
जिनकी हस्ती हम ख़ुद में शुमार करते रहे।
मुझको मालूम था तुम नहीं आओगे फिर भी
ज़िंदा उम्मीद लिये हम इन्तिज़ार करते रहे।
ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर ज़ख़्म पिछले कुछ ज़ीस्त ख्वार करते रहे।
एक घर में कहकहे और शहनाई की आवाज़
'दीपक' अरमान मेरा बस तार - तार करते रहे।
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