प्यार से रोशन ख़ुदाया
शायरी | ग़ज़ल गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'24 Jun 2017
प्यार से रोशन ख़ुदाया नाफदानी हो गई
थी जो जीलानी सी रंगत, जाफ़रानी हो गई
नाफदानी = कोख (गर्भ); जीलानी= सुर्ख (रक्तिम आभा से पूर्ण); जाफ़रानी = केसरिया
मेहरबानी को इलाही आपकी ये क्या हुआ
जो महारानी जहां की मेहतरानी हो गई
आओ हाकिम से कहें अब काम की बातें करे
खूब दहकानों की माफिक लंतरानी हो गई
दहकानों=गंवारों (नासमझों); लंतरानी=आत्म-श्लाघा (बड़बोलापन)
पानी-पानी हो गए पूछा भले लोगों से जब
क्यों वो कोठे पर चढ़ी, जंघामथानी हो गई
जंघामथानी = वारवनिता (नगरवधू)
दरमियानी बदगुमानी तो कोई थी ही नहीं
जिन को लिखना था वो सब बातें जबानी हो गई
बाअदब हाज़िर रहें, है हुक्म 'हिन्दुस्तान' का
फिर न कोई भी कहे, क्यों दख़्लदिहानी हो गई
दख़्लदिहानी = न्यायालय के आदेश से अवैध अतिक्रमण करने वाले को हटाया जाकर वैधानिक हकदार को कब्ज़ा दिलवाना.
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