डूबना था हमको देखो, पर किनारा बन गये
शायरी | ग़ज़ल मानोशी चैटर्जी3 May 2012
जो अंधेरों से उठे तो फिर उजाला बन गये
क्या हुआ 'गर जुगनु थे कल, अब सितारा बन गये
जब उठा तूफ़ां तो हम सैलाब से बहने लगे
डूबना था हम को देखो पर किनारा बन गये
सोचते थे इस जहां में हम सभी से हैं जुदा
राह चल के दूसरों की हम ज़माना बन गये
इस ज़मीं पर गिर के देखा, स्याह रातें काट ली
उठ गये फिर आस्मां में और हाला बन गये
(हाला- चंद्रमंडल/halo)
'दोस्त' तुम को तो भरोसा था बड़ा तदबीर पर
तुम भी क्या तक़दीर का खु़द ही निशाना बन गये?
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