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सुन यह कहानी तेरी है

 

बहर: रज्ज़ मुरब्बा सालिम
अरकान: मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन
तक़्तीअ: 2212    2212
 
सुन यह कहानी तेरी है
हाँ बस बयानी मेरी है
 
सर चढ़ के बोला करती है
क्या शय जवानी तेरी है
 
पागल बना के रक्खा है
तौबा जवानी तेरी है
 
तौबा के बोला था ‘क़फ़स’
हाँ खुब कहानी तेरी है
 
आना था वो आ ही गए
अब शब सुहानी मेरी है
 
बाँधा किया सबको ‘क़फ़स’
क्या खुब बयानी तेरी है

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