मैं फिर भी आऊँगा
शायरी | नज़्म अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’15 Jan 2025 (अंक: 269, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
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जल वायु आकाश पृथ्वी अग्नि में खो जाऊँगा
वक़्त आएगा इक दिन मैं पंच भूत हो जाऊँगा
याद रखना तुम को मिलने मैं फिर भी आऊँगा
वर्षा बन कर या कभी बे-मौसम की बारिश से
जब मैं जल हो जाऊँगा तुमको भीगोने आऊँगा
याद रखना तुम को मिलने मैं फिर भी आऊँगा
वायु बन कर मैं बदन को तेरे हर दिन छूकर
तेरी सांस के साथ तेरी रूह में बस जाऊँगा
याद रखना तुमको मिलने मैं फिर भी आऊँगा
तुम अनंत आसमान को देर रात तक देखोगी
मैं कोई टूटा तारा बन तुम को देखने आऊँगा
याद रखना तुम को मिलने मैं फिर भी आऊँगा
जब धरती के सीने पर नंगे पाँव तुम चलोगी
मैं कंकर की चुभन बन कर तुमको याद आऊँगा
याद रखना तुम को मिलने मैं फिर भी आऊँगा
लोहड़ी होलिका दिवाली हवन सबकी अग्नि और
आखिर में चिता की अग्नि बन कर मैं आऊँगा
याद रखना तुम को मिलने मैं फिर भी आऊँगा
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