सम्प्रति : सरकारी कर्मचारी, वर्तमान में वड़ोदरा में कार्यरत।
मेरे आस-पास बहुत सी घटनाएँ ऐसी होती हैं जो ज़िंदगी पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं और मन को झँझोड़ कर रख देती हैं। मेरे लिए लेखन एक सशक्त अभिव्यक्ति है मन की उस बेचैनी को एक कविता या ग़ज़ल के रूप में ढालने की।
लेखक की कृतियाँ
ग़ज़ल
- अक्सर इस इश्क़ में ऐसा क्यों होता है
- आँसू बहाकर अच्छा लगा
- इब्तिदाई उल्फ़त हो तुम
- इश्क़ को इश्क़ अब कहो कैसे
- जान पहचाना ख़्वाब आया है
- जो ख़ुद नहीं जाना वो जताये नासेह
- तुम मैं और तन्हा दिसंबर
- तुम हो कहाँ, कहाँ हो तुम
- मुझको मोहब्बत अब भी है शायद
- यादों की फिर महक छाई है
- रहमतों का वक़्त आया, मेरे मौला
- वो बहुत सख़्त रवाँ गुज़री है
- सुन यह कहानी तेरी है
नज़्म
कहानी
कविता
रुबाई
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं