रिश्तों की टूटन को कितना कम कर देता है
शायरी | ग़ज़ल अश्विनी कुमार त्रिपाठी1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
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रिश्तों की टूटन को कितना कम कर देता है
कुछ तो है जो मैं और तुम को हम कर देता है
मिलता हूँ तो हर पल उससे आँख चुराता हूँ
और तसव्वुर उसका आँखें नम कर देता है
पहले ज़ख्मी करता है कुछ अश्क बहाकर वो
अगले ही पल अश्कों को मरहम कर देता है
ग़म को दिल में पालो लेकिन इतना याद रहे
बीमारी से ज़्यादा बेबस ग़म कर देता है
धीरज रख सब देख रहा है वह ऊपर वाला
मेहनतकश को मेहनत का फल जमकर देता है
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