जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर
शायरी | ग़ज़ल अश्विनी कुमार त्रिपाठी15 Sep 2023 (अंक: 237, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
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जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर
झगड़ बैठे वही आपस में अपनी ज़ात को लेकर
वो सारे लोग भी दो गज़ ज़मीं में ही दफ़न होंगे
वहम पाले हुए हैं जो मेरी औक़ात को लेकर
ज़रा सा भी तो खारापन नहीं देता है बादल को
समंदर ख़ुश है नदियों से मिली सौग़ात को लेकर
वे अपनी जीत पर उतने जियादा ख़ुश नहीं दिखते
बड़े ख़ुश दिख रहे हैं जो हमारी मात को लेकर
मेरी बरसात पर लिक्खी ग़ज़ल को दाद क्या देता
डरा सहमा हुआ था जो कृषक बरसात को लेकर
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