यूँ ही रोज़ हमसे, मिला कीजिए
शायरी | ग़ज़ल डॉ. भावना कुँअर5 Oct 2007
यूँ ही रोज़ हमसे, मिला कीजिए
फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।
करते हैं तुमसे, मोहब्बत सनम
इसका कभी तो, सिला दीजिए।
कब से हैं प्यासे, तुम्हारे लिए
नज़रों से अब तो, पिला दीजिए।
पत्थर हुए हम, तेरी याद में
छूकर हमें अब, जिला दीजिए।
हो जाये कोई ख़ता जो अगर
हमसे न कोई, गिला कीजिए।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
बाल साहित्य कविता
पुस्तक चर्चा
कविता
गीतिका
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं