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प्रो. महावीर सरन जैन

प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक, रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के लैक्चरर, रीडर तथा प्रोफेसर एवम् अध्यक्ष के रूप में सन् 1964 से 2001 तक हिन्दी के अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के क्षेत्रों में भारत एवं विश्व स्तर पर कार्य किया है।

प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के योजना आयोग के शिक्षा प्रभाग के आदेश क्रमांक No. M- 12015/9/95-Edn., दिनांक फरवरी 5, 1996 के द्वारा नवीं पंच वर्षीय योजना (1997 – 2002) के लिए Working Group on Language Development and Book Promotion के सदस्य के रूप में कार्य किया।

प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य के रूप में कार्य करते हुए मंत्रालयों में राजभाषा हिन्दी के व्यवहार के लिए अनेक सुझाव दिए तथा राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन के लिए अपनी भूमिका का निर्वाह किया। प्रोफेसर जैन ने भारत के अनेक विश्वविद्यालयों की विद्वत-परिषद, कला संकाय तथा चयन समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। भारत के 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के पी-एच. डी. एवं डी. लिट्. उपाधियों के लिए प्रस्तुत शताधिक शोध-प्रबंधों का परीक्षण-कार्य किया तथा अनेक संस्थाओं की विभिन्न समितियों में परामर्शदाता की भूमिका का निर्वाह किया।

प्रकाशन:

सेमीनार, कार्यशालाओं में भागीदारी:

प्रोफेसर जैन ने सन् 1964 ई. से निरन्तर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की संगोष्ठियों, सम्मेलनों तथा कार्यशालाओं में भाग लिया। प्रोफेसर जैन ने 18 देशों का भ्रमण कर वहाँ की संस्थाओं में हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति सम्बन्धित विषयों में व्याख्यान दिये। प्रोफेसर जैन ने संगोष्ठियों एवं वार्षिक अधिवेशनों की अध्यक्षता की अथवा उनमें प्रमुख अतिथि के रूप में उद्घाटन भाषण/मुख्य व्याख्यान दिया।

पुरस्कार एवं अलंकरणः

सम्मानः

  1. आन्ध्र प्रदेश हिन्दी प्रचार सभा , हैदराबाद

  2. भारतीय संस्कृति संस्थान, दिल्ली

  3. असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति गोवाहाटी

  4. केरल हिन्दी प्रचार सभा तिरुवनंतपुरम्

  5. विशाखा हिन्दी परिषद् विशाखापत्तनम्

  6. चैन्नई की हिन्दी की संस्थाओं द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चैन्नई में सम्मानित

  7. मणिपुर हिन्दी परिषद, इम्फाल

  8. प्रमुख भाषाविद्, साहित्य मनीषी, भारतीय संस्कृति के पुरोधा, विद्वद्वरेण्य, सर्वधर्म समभाव के पक्षधर, पूर्वाग्रह-विग्रह-विरहित, माननीय प्रोफेसर (डॉ.) महावीर सरन जैन का आगरा में नागरिक सम्मान

  9. विश्व हिन्दी न्यास (अमेरिका) द्वारा अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के फ्रीमाण्ट में सम्मान।

शोध निर्देशन: प्रोफेसर जैन के निर्देशन में 4 शोधकर्ता डी.लिट् की तथा 11 शोधकर्ता पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।
 

ग्रन्थ एवं पुस्तकें:

(1) विचार, दृष्टिकोण एवं संकेत (निबन्धों का संकलन): - विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा (1965)
(2) अन्य भाषा शिक्षण (Second Language Teaching): - विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा (1966)
(3) बुलन्दशहर एवं खुर्जा तहसीलों की बोलियों का संकालिक अध्ययन (ब्रजभाषा एवं खड़ी बोली का संक्रान्ति क्षेत्र): - हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (1967)
(4) परिनिष्ठित हिन्दी का ध्वनिग्रामिक अध्ययनः (Phonemic Study of Standard Hindi) - लोक भारती, इलाहाबाद (1974)
(5) परिनिष्ठित हिन्दी का रूपग्रामिक अध्ययनः (Morphemic Study of Standard Hindi) -लोक भारती, इलाहाबाद (1967)
(6) हिन्दी ब्रिज कोर्स-पूर्व परीक्षणः (1978)
(7) हिन्दी ब्रिज कोर्स-पश्चात् परीक्षणः (1978)
(8) हिन्दी ब्रिज कोर्स-पूर्व एवं पश्चात् परीक्षण: (1978)
(9) हिन्दी ब्रिज कोर्स-परीक्षण (अध्यापक पुस्तिका): ( (1978)
(10) हिन्दी ब्रिज कोर्स-श्रवणबोधनः (1978)
(11) हिन्दी ब्रिज कोर्स-श्रवण एवं टिप्पण निर्माण बोधन (क): (1978)
(12) हिन्दी ब्रज कोर्स-श्रवण एवं टिप्पण निर्माण बोधन (ख): (1978)
(13) हिन्दी ब्रज कोर्स-पठन बोधन: (1978)
(14) हिन्दी ब्रिज कोर्स-निर्देशित निबंध-लेखन: (1978)
(15) हिन्दी ब्रिज कोर्स-सार लेखन (अंग्रेजी से हिन्दी (1978)
(16) हिन्दी ब्रिज कोर्स-सार लेखन (हिन्दी से अंग्रेजी (1978)
(17) हिन्दी ब्रिज कोर्स-अध्यापक निर्देश पुस्तिकाः (1978)
(18) आवरण के परे: 1.क्षमा 2. मार्दव 3.आर्जव 4. सत्य 5. शौच 6. संयम 7. तप 8. त्याग 9. आकिंचन्य 10. ब्रह्मचर्य -- श्री दि. जैन सभा, जबलपुर (1979)
(19) सूरदास एवं सूर सागर की भाव योजना: - मदनमहल ज.स्ट., जबलपुर (1982)
(20) गद्य सुषमाः (सम्पादन) - मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल (1983)
(21) भाषा एवं भाषा विज्ञान: -लोक भारती, इलाहाबाद (1985)
(22) विश्व शान्ति एवं अहिंसा: - श्री अखिल भारतीय जैन विद्वत्परिषद् एवं सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर (ज्ञान-प्रसार पुस्तक माला क्रमांक-72 (अक्टूबर, 1990)
(23) हिन्दीः रचना और प्रयोग: (सम्पादन) मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित, मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल (1992)
(24) विश्व चेतना तथा सर्वधर्म समभाव: - वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली (1996)
(25) भगवान महावीर एवं जैन दर्शन: -लोक भारती, इलाहाबाद (2006)
Bhagwan Mahaveer Jeevan Aur Darshan (books.google.com/books?isbn=8180310809
Mahaveer Saran Jain – 2006)
(26)Antiquity of Jainism (http://www.scribd.com/doc/22566494/Antiquity-of-Jainism)
(27) The Essence of Dharma The Essence of Dharma(Link)Edit
http://www.scribd.com/doc/22538183/The-Essence-of-Dharma
(28) हिन्दी-उर्दू http://www.scribd.com/doc/22142436/Hindi-Urdu
(29) हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय भूमिका
http://www.scribd.com/doc/22573933/Hindi-kee-antarraashtreeya-bhoomikaa
(30) संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएँ एवं हिन्दी
Hindi should be a UNO language(Link)Edit
http://www.scribd.com/doc/22142721/Hindi-should-be-a-uno-language
(31) भगवान श्री कृष्ण
http://www.scribd.com/doc/105305790/Shree-Krishna
(32) हिन्दी भाषा-क्षेत्र
http://www.scribd.com/doc/105906549/Hindi-Divas-Ke-Avasa
(33) गाँधी दर्शन की प्रासंगिकता
http://www.hindi.mkgandhi.org/article/GandhiDarshanKeePraasangikataa.pdf
http://www.scribd.com/doc/108950780/Gandhee-Darshan-Kee-Praasangikataa
(34) भाखा बहता नीर
http://www.scribd.com/doc/110501224/Bhakhaa-Bahataa-Neer
(35) भाषा-परिवार एवं विश्व-भाषाएँ
http://www.pravakta.com/language-family-and-world-languages
(36) भारोपीय भाषा-परिवार
http://www.scribd.com/doc/120501020/The-Indo-European-Fa
(37) भारत की भाषाएँ
http://www.scribd.com/doc/111370112/Languages-of-India
(38) भारत की बहुभाषिकता और भाषिक एकता
http://rachanakar.blogspot.com/2009/09/blog-post_20.html
http://www.scribd.com/doc/22141758/Hindi-bahubhaashikataa
(39) भगवान शिव एवं शैव दर्शन
http://www.scribd.com/doc/133662684/Lord-Shiva-and-Shai
(40) स्वामी विवेकानन्द
http://www.scribd.com/doc/159750362/Swami-Vivekananda
(41)दशलक्षण धर्म
http://www.scribd.com/doc/170828415/Daslakshan-Dharma-or-ten-virtues-दश-लक्षण-धर्म
(42) हिन्दी की अन्तर-क्षेत्रीय, सार्वदेशीय एवं अन्तरराष्ट्रीय भूमिका :http://www.rachanakar.org/2010/07/blog-post_8861.html
(43) कर्म सिद्धांत का सामाजिक संदर्भः
http://www.jainlibrary.org/elib_master/article/210000_article_hindi/Karm_aur_Samajik_Sandarbh_229891.pdf
(44) The Doctrine of Karma in Jain Philosophy
http://www.herenow4u.net/index.php?id=98353
(45) The Path to Attain Liberation in Jain Philosophy
http://www.scribd.com/doc/219047226/The-Path-to-Attain-Liberation-in-Jain-Philosophy
(46) Bhagwaan Mahaveer Evam Jain Darshan
Original Title: भगवान महावीर एवं जैन दर्शन
Bhagwaan Mahaveer Evam JainDarshan (English Translation: Dr. Pradyumna Shah Singh
Punjabi University, Patiala, India) http://www.herenow4u.net/index.php?id=98353
अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ: 

राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप की पहचान स्थापित करने, अखिल भारतीय व्यवहार तथा भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में इसका प्रचार-प्रसार करने एवं हिन्दी भाषा के साहित्य के साथ अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यों का उच्चतर अध्ययन सम्पन्न करने तथा इन कार्यों के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय एकता एवं एकीकरण में हिन्दी की भूमिका को सार्थक एवं सुदृढ़ रूप से विकसित करने हेतु प्रोफेसर जैन ने अनेक परियोजनाओं पर स्वयं कार्य किया है तथा अपने सहयोगियों/संस्थाओं को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान की है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशों में हिन्दी भाषा तथा उसके माध्यम से आधुनिक भारत की चेतना एवं उसके मूल्यों को प्रसारित करने की दिशा में प्रोफेसर जैन ने विभिन्न दिशाओं में कार्य सम्पन्न किए हैं। विश्व की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को ने हिन्दी की सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजने के लिए भारत सरकार से आग्रह किया (पत्र दिनांक 13.07.1998)। भारत सरकार ने इस दायित्व के निर्वाह का कार्यभार केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन को सौंपा। प्रोफेसर जैन ने जो रिपोर्ट भेजी उससे यह सिद्ध हुआ कि प्रयोक्ताओं की दृष्टि से विश्व में चीनी भाषा के बाद दूसरा स्थान हिन्दी भाषा का है।

[Words and Worlds: World Languages Review: Felix Marti, Jan 1, 2005 - 328 pages

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