अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पल्लवी

मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा एवं कंप्यूटर साइंस में स्नातक दिल्ली से उत्तीर्ण करने के पश्च्यात मैंने मास्टर्स इन कंप्यूटर एप्लीकेशन किया।

आजीवका हेतु टेलीकम्यूनिकेशन की कंपनी में पिछले १० वर्षों से कार्यरत हूँ।

मेरी रुचि साहित्य में बचपन से ही रही है इसका मूल कारण रहीं मेरी माँ जो स्वयं हिंदी विषय की अध्यापिका एवं प्रिंसिपल थी तथा अपने कुशल अध्यापन के साथ साथ एक कवयित्री भी थीं। घर परिवार में साहित्य की समझ होने से स्कूल के दिनों में ही रचनाकारों, विधाओं और मंच से परिचय हो गया था। काका हाथरसी हों या बशीर बद्र साहब, हिंदी और उर्दू की अनेकानेक रचनायें हँसते खेलते पढ़ीं और सुनाईं।

परिवार के प्रोत्साहन से मैंने भी कवितायें लिखना आरम्भ किया - पहली कविता "कलम" थी जो शायद मैंने तीसरी या चौथी कक्षा में लिखी थी - जिसका मूल था कलम की आत्मकथा। तब से विभिन्न रचनायें हिंदी और उर्दू दोनों ही भाषाओं में लिखती रही हूँ। अब तक अधिकतर पद्य विधा में ही लिखा है किन्तु गद्य में भी कुछ एक लेख स्कूल और कॉलेज स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। स्कूल से कॉलेज और कॉलेज से कार्यस्थल तक कविता मेरी पहचान रही है। बहुत सी स्पर्धाओं में पुरस्कार मिले फिर चाहे वह कविता सम्बंधित हों या क्रिएटिव राइटिंग, साथियों के प्रोत्साहन से आज पब्लिक फ़ोरम्स में काव्य पाठ और अपनी शायरी सुनाने के चरण में हूँ।

लेखक की कृतियाँ

नज़्म

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं