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राकेश मिश्रा

अब तक...

राकेश मिश्रा मूलतः लखनऊ के निवासी हैं और आजकल नोएड में एक अन्तर्राष्ट्रीय सूचना तकनीकी कम्पनी में वरिष्ठ परियोजना प्रबन्धक के रूप में कार्यरत हैं।

जब तक प्रसाद, अज्ञेय और निराला के साहित्यिक संसार से राकेश बाहर आए, जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पीछे छूट चुका था। अच्छा हुआ तो सिर्फ़ ये कि ज़िन्दगी के इन पहले दो दशकों के बदले में राकेश को पठन-पाठन एवं लेखन के प्रति एक अदम्य लगाव और अभिरुचि का अनमोल उपहार मिल गया।
तदन्तर, काम में व्यस्त होने का बहाना राकेश को इतना भाया कि अगले १५ वर्षों तक कागज़ और कलम को एक साथ छुआ ही नहीं!

अब जब एक सहकर्मी ने कागज़/कलम की जगह कम्प्यूटर की-बोर्ड के ज़रिए हिन्दी में लिखने का रास्ता दिखाया तो कुछ पुरानी डायरियों के धूल भरे पन्नों से भूली-बिसरी कवितायें ढूँढने का सिलसिला शुरू हुआ है। हिन्दी लेखन से अपनी पुरानी सहजता और आत्मीयता शीघ्र ही प्राप्त कर लेने का पूर्ण विश्वास है राकेश को।

आगे...

इस वर्ष राकेश की पहली पुस्तक, The eMedha Paradigm, प्रकाशित होनी चाहिए। तदन्तर, हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाओं में पूर्णकालिक लेखन को अपनी कर्मभूमि बनाने की इच्छा, उत्साह और आशा है राकेश को।

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