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सुभाष नीरव

हिंदी कथाकार सुभाष नीरव का जन्म उत्तर प्रदेश के एक बेहद छोटे शहर मुराद नगर में एक निम्न पंजाबी परिवार में हुआ।

इन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की और वर्ष १९७६ में केन्द्रीय सरकार की नौकरी में आ गए।

इनके दो कहानी-संग्रह "दैत्य तथा अन्य कहानियाँ (१९९०)" और "औरत होने का गुनाह (२००३)" चर्चित रहे हैं। इसके अतिरिक्त, इनके दो कविता-संग्रह "यत्किंचित (१९७९)" और "रोशनी की लकीर (२००३)", एक बाल कहानी-संग्रह "मेहनत की रोटी (२००४)", एक लघुकथा संग्रह "कथाबिन्दु"(रूपसिंह चंदेह और हीरालाल नागर के साथ) भी प्रकाशित हो चुके हैं। ’आखिरी पड़ाव का दुःख’ कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य। अनेकों कहानियाँ, लघुकथाएँ और कविताएँ पंजाबी और बांगला भाषा में अनूदित हो चुकी हैं।

हिंदी में मौलिक लेखन के साथ-साथ पिछले तीन दशकों से अपनी माँ-बोली पंजाबी भाषा की सेवा मुख्यतः अनुवाद के माध्यम से करते आ रहे हैं। अब तक पंजाबी से हिंदी में अनूदित दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें "काला दौर", "पंजाबी की चर्चित लघुकथाएँ", "कथा पंजाब-२", "कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा कहानियाँ", "तुम नहीं समझ सकते"(जिन्दर का कहानी संग्रह), पंजाबी के दलित युवा कवि व लेखक बलबीर माधोपुरी की आत्मकथा "छांग्या रुक्ख" आदि प्रमुख हैं। मूल पंजाबी में लिखी दर्जन भर कहानियों का आकाशवाणी, दिल्ली से प्रसारण।
सम्पादन :    अनियतकाली पत्रिका "प्रयास" का वर्ष १९८२ से १९९० तक संचालन/संपादन।
सम्मान :    हिंदी में लघुकथा लेखन के साथ-साथ, पंजाबी-हिंदी लघुकथाओं के श्रेष्ठ अनुवाद हेतु "माता शरबती देवी स्मृति पुरस्कार १९९२" तथा "मंच पुरस्कार, २०००" से सम्मानित।
सम्प्रति :    भारत सरकार के पोत परिवहन विभाग में आहरण और संवितरण अधिकारी।

लेखक की कृतियाँ

अनूदित कविता

लघुकथा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

लेखक की पुस्तकें

  1. छांग्या-रुक्ख