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आधे अधूरे का मंचन

साक्षात्कार डॉ. शैलजा सक्सेना
12 Mar 2019

अप्रैल 25, 2016, मिसिसागा – कैनेडा की वरिष्ठ हिन्दी साहित्यिक संस्था "हिन्दी राइटर्स गिल्ड" ने अप्रैल २२, २३ और २४ को मिसिसागा के "संप्रदाय थियेटर" में स्व. मोहन राकेश के बहुचर्चित नाटक "आधे अधूरे" का मंचन किया। “आधे-अधूरे” के अब तक पचास हज़ार से भी अधिक मंचन पूरे विश्व में किये जा चुके हैं पर टोरोंटो में पहली बार इसका मंचन किया गया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड अभी तक अपने आठ वर्ष के इतिहास में, इससे पहले छह नाटकों का मंचन कर चुकी है। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का उद्देश्य न केवल कैनेडा के हिन्दी लेखकों को सही दिशा प्रदान करना है बल्कि जन-साधारण में हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग और चेतना को बढ़ाना भी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नाटक जैसे लोकप्रिय माध्यम से साहित्यिक प्रस्तुतियों को हिरागि अपने वार्षिक कार्यक्रमों में प्रस्तुत करती रही है, जिनमें "रश्मि रथी", "अन्धा युग" और "मित्रो मरजानी" जैसी गंभीर साहित्यिक कृतियाँ सम्मिलित हैं। इस बार नाटक को वार्षिक कार्यक्रम से अलग करते हुए, हिरागि ने कैनेडा की स्थापित नाट्य संस्था "सावित्री थियेटर ग्रुप" के सहयोग से नाटक को स्वतन्त्र रूप से प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। सावित्री थियेटर ग्रुप ने अभी तक अनेकों अंग्रेज़ी, मराठी और गुजराती नाटकों को प्रस्तुत किया है। यह उनका पहला हिन्दी नाटक था। ऐसा ही श्री प्रकाश दाते, जो मराठी मंच के प्रसिद्ध निर्देशक हैं, के लिए भी था। प्रकाश जी ने पिछले छह महीने से सप्ताह में तीन-चार बार निरंतर रिहर्सल से हिन्दी मंच के अभिनेताओं की कला को निखारा और कलाकारों के मन में अनूठा आत्मविश्वास पैदा कर दिया। नाटक के लिए सेट का डिज़ाईन भी श्री प्रकाश दाते ने ही बनाया परन्तु उसको साकार रूप दिया सुमन कुमार घई ने। सजावट डॉ. शैलजा सक्सेना की थी। संगीत श्री दीपक संत का था और साउंड एंड लाईट इफ़ैक्ट कैयूर शाह ने दिये। मंच नियोजन शबा शृंगी का था। हिरागि की ओर से नाटक का प्रबंधन किया था विजय विक्रान्त ने। नाटक के अभिनेता थे –महेन्द्रनाथ (विद्या भूषण धर), सावित्री (पूर्णिमा मोहन) , अशोक (उदय चौहान), बिन्नी (अनुभा झा शंकर), किन्नी (आँचल सहगल), सिंघानिया (निर्मल सिद्धु), जुनेजा (विवेक गुळवणे),जगमोहन (मिलिंद करंदिकर)। तीनों दिन "हाउस फुल" रहा और बहुत से लोगों को निराश वापिस लौटना पड़ा। विशेष बात यह है कि इस नाटक को विज्ञापित नहीं किया गया था फिर भी तीन सौ से अधिक लोगों ने इसे देखा और सराहा। बहुत से लोगों ने आश्चर्य प्रकट किया कि इतनी स्तरीय अभिव्यक्ति कैनेडा के मंच पर प्रस्तुत की गयी।