कविताएँ
विवेक कौल
15 May 2021
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इसी भूमि में पदचिह्न हैं मम्मट, कल्लट और बिलहन के / राज तरंगिनी रची यही थी, उदित पंडित कलहन ने,
शारदा मठ का पांडित्य भी इन्हीं हवाओं में था बसा / नीलम घाटी की फ़िज़ा में शैव सिद्धान्त था रचा।
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