श्रीमती बेबी कारफरमा का जन्म पंजाब के सिक्ख परिवार में हुआ। एक संभ्रांत परिवार के वंशज। प्रारम्भ से ही मानवतावादी दृष्टिकोण रचने वाली बेबी कारफरमा अनुवाद के माध्यम से हिन्दी और बांग्ला भाषा के बीच सेतुबंधन हेतु प्रयासरत हैं। जिसके फलस्वरूप आज हिन्दी से बांग्ला अनुवाद के क्षेत्र में बेबी कारफरमा एक सुपरिचित नाम है। बेबी जी अनुवाद के अलावा मौलिक सृजन और जीवनी लेखन में भी सिद्धहस्त हैं।
इनके द्वारा लिखी गई बांग्ला पुस्तकों की फ़ेहरिस्त कुछ यों है: 12 आश्विन पक्ष में, आलोर दिशारी राममोहन, शिशु मने मनीषी कथा, नजरुलेर छेलेबेला जिनको बांग्ला पाठकों द्वारा भरपूर सराहा गया। बेबी कारफरमा द्वारा सम्पादित संकलन: निर्वाचित समकालीन छोटो गल्पो, स्वप्नेर कोनभय (गल्प संकलन), प्रेमेर फांद पाता भुबने (कविता संकलन) को भी पाठकों का भरपूर प्रेम मिला।
इनके किए हिन्दी से बांग्ला अनुवादों में “विश्व हिन्दी लघुकथा संग्रह (दो खण्ड)” और डॉ. रामकुमार घोटड़की लघुकथा ’नोना जल’ और ’पायेर तलाब माटी’ भी शामिल है। साथ ही बांग्ला से हिन्दी अनुवाद का कार्य भी निरंतर जारी है। ये दोनों भाषाओं के बीच एक मज़बूत सेतु का काम पूरी निष्ठा से कर रही हैं।
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