अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी रेखाचित्र बच्चों के मुख से बड़ों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

डॉ. कौशल तिवारी


समकालीन संस्कृत साहित्य में डॉ.कौशल तिवारी एक जाना पहचाना नाम है। वे जितना एक कवि एवं कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं उतना ही आलोचक के रूप में भी। आपका जन्म 5 जुलाई 1978 ई. को राजस्थान के बारा जनपद में हुआ। आपकी  माता जी का नाम श्रीमती विमला देवी शर्मा तथा पिताजी का नाम बद्रीलाल शर्मा है।

रचनाएँ:  

1. गुलिका (आधुनिक संस्कृत काव्यसंग्रह), प्रकाशक- कथाभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, प्रथमसंस्करण- 2015 ई.।

गुलिका न जानाति यत्
किं भवेत्
तस्या लक्ष्यम्? 
सा तु चलति 
तव सङ्केते 
त्वया रचितं 
गन् तव्यं प्रति। पृष्ठ 34 

2. द्विपथम्  (अर्थात् दोराहा,अनूदित कथासंग्रह)। इसमें गद्य तथा पद्य दोनों विधाओं के अनुवाद हैं। इसके दो भाग हैं- प्रथम एकादशी में 11 समकालीन हिन् दी कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संस्कृत अनुवाद है, द्वितीय एकादशी (कथासंगम ) में राजस्थानी, हिन् दी, उर्दू, तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं की कहानियों का संस्कृत अनुवाद है।        

3 .समरक्षेत्रम् (आधुनिक संस्कृत काव्यसंग्रह), प्रकाशक- हंसा प्रकाशन राजस्थान, प्रथम संस्करण- 2013 ई.। संस्कृत ग़ज़लों में आधुनिक सोच रखने वाले कवि डॉ.कौशल तिवारी की ग़ज़लें रदीफ़ और काफ़िया की दृष्टि से उच्चकोटि की हैं। 

1. स्ममरणं ते मत्कृते प्रणायते।
मौनमपि मत्कृते शब्दायते॥
रिक् तो भवति चषको यदा यदा
तवाधरो मत्कृते मदिरायते॥

2.यया कदाचित् प्रणयः कृतः
तस्या: करेऽद्य शस्त्रम्  दृष्टम्॥

4. स्मर्तव्योऽहं तदा (काव्यसंग्रह) एजूकेशनल बुक सर्विस नई दिल्ली। प्रथम संस्करण 2022 ई.। डॉ. तिवारी 

रूढ़िवादी और पुरातनपंथी विचारधारा का पुरजोर विरोध करते हैं। चाहे वह काव्य का क्षेत्र हो या जीवन का। यह विरोध उनके काव्य और जिन्दगी दोनों में स्पष्ट दिखलाई देता है।  

आज की गंदी राजनीति से कवि कितना आहत है। वह उसकी कविता से जाना जा सकता है।

राजनीतिकूपे भंगा मिलिता सर्वत्र
कोऽपि शकुनिस्तु कोऽपि धृतराष्ट्रो दृश्यते॥
 
‘स्मर्तव्योऽहं तदा’ ग़ज़ल तो संवेदना की पराकाष्ठा को भी पार भी पार कर जाती है। इस ग़ज़ल में जितना सुन्दर भाव इन्होंने निरुपित किया है वह अवर्णनीय है। इस ग़ज़ल का मतला, शेर, मकता सब अपने आप में कबील-ए-तारीफ़ है।

रोदनाय स्कन्धो न मिलेत्  स्मर्तव्योऽहं तदा।

‘तव कृते’ में कौशल तिवारी अपनी प्रेयसी को लिखते हैं कि हे प्रिये! तुम्हारे लिए मैं क्या-क्या नहीं करता। मैं रात-दिन तुम्हारा इन्तजार किया करता हूँ।

नक्तं दिवं ननु सुजागर्ति तव कृते।

लेखक की कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं