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सरिता गुप्ता

जन्म: फरवरी,1980; सीतामढ़ी (बिहार) 
शिक्षा: स्नातक (जन्तु विज्ञान) 
साहित्यिक लेखन:

बाल्य काल से ही कला एवं साहित्य में अभिरुचि रही। पितामह के स्नेह-सान्निध्य में उनके सहयोग से बहुत छुटपन में भी रचनाएँ कीं, किन्तु व्यवस्थित रूप से संकलित नहीं कर पायी। सोलह वर्ष की आयु से पद्य रचना की ओर रुझान हुआ तब से नौकरी में आने से पूर्व तक नियमित लिखती रही। 

नौकरी में आने के लगभग आठ वर्ष तक साहित्य से सरिता का समागम रुका सा-रहा। 2012 में ये धारा फिर उद्वेलित हुई और अपनी राह पर अपनी गति से बह निकली। पुरानी कविताओं में लय दिखता है, किन्तु आज की रचनाओं में विचार और संदर्भ को यथावत रखने की कोशिश रही है, जिसमें लय की प्रधानता गौण हो गयी है। एक ओर शुरू की कविताओं में प्रेम के नव कोंपल की कोमलता है, किशोरी का समर्पण है, नए ख़ून का उबाल है वहीं दूसरी ओर आज की रचनाओं में समाज के वर्ग विशेष के अनुभव की अभिव्यक्ति है, आत्म मंथन एवं परिस्थिति विश्लेषण है। यूँ तो संवेदना और भावनायें निजी हैं, किन्तु अभिव्यक्ति में पूरी जाति की अनकही को समावेशित करने का प्रयास किया है। 

संप्रति: भारतीय स्टेट बैंक में मुख्य प्रबंधिका

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