तीन लाख पचास हज़ार
कविताएँ
विवेक कौल
15 May 2021
15 May 2021
१९९० के दशक में लगभग तीन लाख पचास हज़ार कश्मीर के मूलनिवासी कश्मीरी पंडित कश्मीर से पलायन कर गए। इस्लामी आतंकवाद आज़ादी का मुखौटा पहने कश्मीर में निज़ाम ए मुस्तफ़ा स्थापित करने की शपथ ले चुका था। इस भयानक मानव त्रासदी का शिकार कश्मीर के हिंदू हुए और सदा के लिए अपना घर-बार छोड़ गए।