बेटी - प्रदीप कुमार दाश
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'1 May 2019
01.
माता की छाया
पिता का अभिमान
बेटी है शान।
02.
नन्ही सी कली
फूल बन बिटिया
महका चली।
03.
साँस है बेटी
मखमली नर्म सी
घास है बेटी।
04.
कोख से बची
दहेज से बचेगी
गर पढ़ेगी।
05.
जड़ सिंचती
पीहर आती बेटी
ओस की लड़ी।
06.
देर जो हुई
सहमी सी गौरेय्या
घर लौटती।
07 .
नर न छलो
गर्भ की कन्याओं को
मत संहारो।
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