कोरोना
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता आकृति1 Jun 2021 (अंक: 182, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
प्रेषक: राजीव डोगरा ’विमल’
न जाने यह कहाँ से आया
पूरे देश में डर है छाया।
आना जाना बंद करवाया
सभी लोगों को घर पर बिठाया।
स्कूल की है याद सताए
दोस्तों के बिन रहा न जाए।
कोरोना वायरस सबको डराए
सभी के मुँह पर मास्क लगाए।
लोग बाहर निकलने से भी घबराए
घर पर बैठे बोर हो जाए।
स्कूल कॉलेज बंद करवाए
कोरोना वायरस बढ़ता जाए।
इसका इलाज समझ ना आए
इसलिए हम सब को ख़ूब सताए।
आओ, हम सभी नियम अपनाएँ
पूरे देश को इस बीमारी से बचाएँ।
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