गुरुदेव प्रजापति - 1
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु गुरुदेव प्रजापति 'फोरम'1 May 2019
सात हाईकु
1.
पंख फैला के
उड़ जाता शहर
दंगल होते।
2.
घर आकर
हाथ जोड़के बोले
हमे जीताना!
3.
साबरमती
आँसू बहाने लगी
गाँधी ग़ायब!
4.
घर आकर
बोले, कितने लोगे?
एक मत के।
5.
सत्ता की रोटी
कौन सेक रहा है?
हमें लड़ाके।
6.
हाथ में लिए
मशाल, चल पड़ी
जागृत नारी!
7.
तालाब देख
मेंढक बोला, अरे!
सागर देखो।
~गुरुदेव प्रजापति~
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
अनूदित कविता
कविता - हाइकु
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं