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कुछ समझना चाहते हैं

कुछ पास में रहकर,
कुछ दूर जाकर।
कुछ लफ़्ज़ों से कहकर,
कुछ लफ़्ज़ों में छिपाकर।
कुछ समझना चाहते हैं
कुछ दिल में रखकर,
कुछ दिल से भुलाकर।
कुछ सबकी सुनकर,
कुछ सबको सुनाकर।
हम चले हैं सबकी
बेवफ़ाई भुलाकर॥
 
उस नई राह पर
निकल जाने दो,
तुम हमको सब हदों से 
गुज़र जाने दो।
हमें बेवफ़ाई से 
फ़तह पाने दो,
हमारे इस दिल को 
पनाह पाने दो।
थक गए हैं हम, 
हम सुकून चाहते हैं।
क़लम से अपनी, 
कुछ कहना चाहते हैं। 
चुप रहकर हम 
सँभालना चाहते हैं।
मौन रहकर सबको 
समझना चाहते हैं।

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टिप्पणियाँ

Manjari Gupta 2022/10/14 02:24 PM

Mesmerizing...!!!

नूतन गुप्ता 2021/05/08 10:21 PM

बहुत खूब

राजनन्दन सिंह 2021/05/07 01:57 PM

मौन रहकर सबको समझना चाहते हैं। बहुत सुंदर भाव

पाण्डेय सरिता 2021/05/01 05:47 PM

बहुत बढ़िया

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