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माँ (अनुदीप पवार)

दुनिया में सबसे पहला प्यार है मेरी 
भगवान का दिया हुआ दुलार है मेरी 
वो रब से बढ़ कर माँ है मेरी

 

मैं हँसा उसे देखकर मैं रोया उसे देखकर
दिन अधूरा लगता है बिना उसे देखकर

 

पेट तो मेरा एक रोटी से भर जाता है
जब वो रोटी का निवाला 
मुझे मेरी प्यारी माँ का हाथ खिलाता है

 

मेरी हँसी में अपनी हँसी को खोजा
मेरे आँसुओं में अपना ग़म पाया
पता नहीं अपनी मुस्कुराहट के पीछे 
अपना कितना दुख छिपाया

 

माँ के चरणों  में मैंने 
अपना जग पाया
उसके चेहरे में मैंने 
अपनी ख़ुशियों का नभ पाया
तुम चाहे संसार की सारी 
मुश्किलें मुझे दे दो
डट कर सामना करूँगा
क्योंकि मैंने अपने सर पर
हमेशा अपनी माँ का हाथ पाया

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