फागुनी बयार
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु दीपिका सगटा जोशी 'ओझल'3 Mar 2016
सकुचि बैठी
सखियन के संग
मोहे बुला लो
जिया कहे ये
पिया उठाओ मोरे
घूँघट पट
गले लगा लो
फागुनी बयार हूँ
मैं नटखट
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