स्पंदन द्वारा 'जिन्हें जुर्म-ए-इश्क पर नाज़ था' पर चर्चा
भारत समाचार 16 Sep 2019ललित कलाओं के प्रशिक्षण प्रदर्शन एवं शोध की अग्रणी संस्था स्पंदन द्वारा पंकज सुबीर के बहुचर्चित उपन्यास 'जिन्हें जुर्म-ए-इश्क पर नाज़ था' पर पुस्तक चर्चा का आयोजन स्वराज भवन में किया गया। इस अवसर पर उपन्यास के दूसरे संस्करण का भी विमोचन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री सैयद मोहम्मद अफ़ज़ल ने की। पुस्तक पर वक्ता के रूप में भोपाल कलेक्टर श्री तरुण पिथोड़े, एबीपी न्यूज़ के संवाददाता श्री बृजेश राजपूत तथा दैनिक भास्कर के समाचार संपादक श्री सुदीप शुक्ला उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अतिथियों का स्वागत स्पंदन की संयोजक वरिष्ठ कथाकार डॉ उर्मिला शिरीष ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुदीप शुक्ला ने कहा कि यह उपन्यास एक ऐसे समय पर आया है, जब इस उपन्यास की सबसे अधिक आवश्यकता थी। यह इस समय की सबसे ज़रूरी किताब है। इस उपन्यास में प्रश्नोत्तर के माध्यम से आज के कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब तलाशे गए हैं। ऐतिहासिक पात्रों को उठाकर उनके साथ चर्चा करते हुए लेखक ने आज की समस्याओं के हल और उनकी जड़ तलाशने की कोशिश की है। उपन्यास पर चर्चा करते हुए श्री बृजेश राजपूत ने कहा कि पंकज सुबीर के पहले के दोनों उपन्यास भी मैंने पढ़े हैं तथा उन पर टिप्पणी की है, यह तीसरा उपन्यास उन दोनों से बिल्कुल अलग तरह का उपन्यास है। इस उपन्यास को पंकज सुबीर ने एक बिल्कुल नए शिल्प और एक नई भाषा के साथ लिखा है। यह ठहरकर पढ़े जाने वाला उपन्यास है जो आपको कई सारी नई जानकारियाँ प्रदान करता है, ऐसी जानकारियाँ जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं।
भोपाल कलेक्टर श्री तरुण पिथोड़े ने उपन्यास पर चर्चा करते हुए कहा कि यह उपन्यास प्रशासन से जुड़े हुए अधिकारियों के मानवीय पक्ष को सामने रखता है। साथ में उन चुनौतियों के बारे में भी बताता है जिन चुनौतियों का सामना हम सब को करना पड़ता है। यह मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना का उपन्यास है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री सैयद मोहम्मद अफ़ज़ल ने कहा कि इस उपन्यास में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जिनको पढ़ते हुए हमें ऐसा लगता है कि लेखक ने बहुत ख़तरा उठा कर इस उपन्यास को लिखा है। कई सारी बातें, कई सारे कोट्स इस तरह के हैं जैसे हमारे ही मन की बात लेखक ने लिख दी है। इस तरह के उपन्यासों का लिखा जाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह उपन्यास और इस तरह की किताबें बहुत सारी ग़लतफ़हमियों के अँधेरे को दूर किया है।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्पंदन तथा शिवना प्रकाशन की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। अंत में आभार स्पंदन की संयोजक डॉ. उर्मिला शिरीष ने व्यक्त किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित थे।
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