कोपेनहेगन, डेनमार्क
अर्चना पैन्यूली मूलतः उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून से हैं। विगत तेईस सालों से डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में रह रही हैं। अर्चना पैन्यूली इन्डियन डायस्पोरा एवम् स्कैन्डिनेवियन देशों में बसे भारतीय समुदाय पर कहानियाँ और लेख लिखती रही हैं जो वर्तमान जातीय और प्रवासी मुद्दों और भारतीय प्रवासी अनुभवों को दर्शाते हैं। उनकी रचनाओं में एक अलग परिवेश—स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप, डेनमार्क–में मानव जीवन और सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था को प्रमुखता से जानने–समझने का अवसर मिलता है। उनकी रचनाएँ संभावित वैश्विक अपील के साथ भारत उपमहाद्वीप से एक मज़बूत सम्बन्ध रखती हैं। डेनमार्क में हिन्दी और भारतीय संस्कृति की सरंक्षणता पर भी अर्चना पैन्यूली ने सारगर्भित शोध लेख लिखे हैं।
अब तक उनकी आठ पुस्तकें—चार उपन्यास, तीन कहानी संग्रह तथा एक अनुवाद प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हो चुके हैं। उनका उपन्यास 'वेयर डू आई बिलांग' डेनिश समाज पर हिन्दी में लिखा प्रथम उपन्यास है। भारतीय ज्ञानपीठ से हिन्दी में छपने के बाद रूपा पब्लिकेशन्स से यह अँगरेज़ी में प्रकाशित हुआ।
'वेयर डू आई बिलांग' उपन्यास के लिए अर्चना पैन्यूली को अगस्त 2012-राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मैमोरियल ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
उनका उपन्यास 'पॉल की तीर्थयात्रा' फ़ेमिना सर्वे द्वारा वर्ष 2016 के सर्वश्रेष्ठ दस उपन्यासों में घोषित हुआ है।
उन्होंने डेनिश रचनाओं का भी हिन्दी अनुवाद किया है। पुरस्कृत उपन्यास डेनिश उपन्यास 'Dette burde skrives i nutid' (यह वर्तमान काल में लिखा जाना चाहिए) का हिन्दी अनुवाद किसी डेनिश कृति का प्रथम हिन्दी अनुवाद है।
अर्चना पैन्यूली की रचनाओं पर देश-विदेश के शोधार्थी शोध कर रहे हैं।
अप्रेल 2020 केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा अर्चना पैन्यूली को पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सितम्बर 2019 मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा निर्मल वर्मा पुरस्कार घोषित हुआ।
अगस्त 2006–इंडियन कल्चरल एसोशिएशन, डेनमार्क द्वारा प्रेमचंद्र पुरस्कार।
प्रकाशित कृतियाँ:
• उपन्यास
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-2003, 'परिवर्तन', अभिरुचि प्रकाशन
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-2010, 'वेयर डू आई बिलांग', भारतीय ज्ञानपीठ
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-2014, 'वेयर डू बिलांग' का अँग्रेज़ी अनुवाद, रूपा पब्लिकेशन्स
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-2016, 'पॉल की तीर्थयात्रा', राजपाल एंड संस
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-2020 'कैराली मसाज पार्लर, ' भारतीय ज्ञानपीठ
• कहानी संग्रह
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-2017, 'हाईवे E-47' प्रभात प्रकाशन समूह-ज्ञान गंगा
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-2019, 'कितनी माँएँ हैं मेरी', प्रभात प्रकाशन समूह
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-2021 प्रतिनिधि कहानियाँ, प्रलेक प्रकाशन
• अनुवाद
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-सुप्रसिद्ध डेनिश लेखिका, कारेन ब्लिक्शन (दिवंगत) की लम्बी कहानी का हिंदी अनुवाद, 2009 नया ज्ञानोदय में प्रकाशित
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-साहित्यकार हेल्ले हेल्ले के पुरस्कृत उपन्यास 'Dette burde skrives i nutid' (यह वर्तमान काल में लिखा जाना चाहिए) का हिन्दी अनुवाद प्रकाशनार्थ (प्रभात प्रकाशन)
• सम्मान/पुरस्कार
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-अप्रेल 2020 केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार।
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-सितम्बर 2019 मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा निर्मल वर्मा पुरस्कार
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-'पॉल की तीर्थयात्रा' फेमिना सर्वे द्वारा वर्ष 2016 के सर्वश्रेष्ठ दस उपन्यासों में घोषित
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-अगस्त 2012-राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मैमोरियल ट्रस्ट द्वारा उपन्यास 'वेयर डू आई बिलांग' के लिए राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित
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-अगस्त 2011-इंडियन कल्चरल सोसाइटी, डेनमार्क द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोह पर ‘प्राइड ऑफ़ इंडिया’ सम्मान से सम्मानित।
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-अगस्त 2006–इंडियन कल्चरल एसोशिएशन, डेनमार्क द्वारा प्रेमचंद्र पुरस्कार।
Website: www.archanap.com
लेखक की कृतियाँ
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