पेशे से शिक्षक रहे जाने-माने साहित्यकार रामनारायण रमण का जन्म 10 मार्च 1949 ई. को पूरेलाऊ, डलमऊ, रायबरेली (उ.प्र.) में हुआ। ‘मैं तुम्हारे गीत गाऊँगा’ (गीत संग्रह, 1989), ‘निराला और डलमऊ’ (संस्मरणात्मक जीवन-वृत्त, 1993), ‘मुझे मत पुकारो’ (कविता संग्रह, 2002), ‘निराला का कुकुरमुत्ता दर्शन’ (निबन्ध संग्रह, 2009), ‘परिमार्जन’ (निबन्ध संग्रह, 2009), ‘हम बनारस में, बनारस हममें’ (यात्रा-वृत्तांत, 2010), ‘हम ठहरे गाँव के फकीर’ (नवगीत संग्रह, 2011), ‘उत्तर में आदमी’ (निबन्ध संग्रह, 2012), ‘नदी कहना जानती है’ (नवगीत संग्रह, 2018), ‘जिंदगी रास्ता है’ (आत्मकथा, 2020), ‘पंछी जागे नहीं हैं अभी’ (कविता संग्रह, 2021) ‘जोर लगाके हइया’ (नवगीत संग्रह, 2021), ‘सामाजिक न्याय की आवाज’ (निबंध संग्रह, 2024) आदि आपकी अब तक प्रकाशित कृतियाँ हैं।
शंकर नगर, मुराई का बाग़ (डलमऊ), रायबरेली (उ.प्र.)
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