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सरोज राम मिश्रा ‘प्रकृति’

साहित्य और सौन्दर्य दोनों में विशिष्ट सुश्री सरोज राम मिश्रा ‘प्रकृति’ हिन्दी एवं अर्थशास्त्र दोनों विषयों में एम. ए. उपाधि धारक हैं। इनकी मनोवैज्ञानिक कविताओं में इनका सौन्दर्य बोध, प्रकृति और प्रेम व्यापक रूप से परिलक्षित होता है जो कि पाठकों को इनके प्रति खींचता है। इनके द्वारा कविता, कहानी, लघुकथा, आलेख आदि विधाओं में निरन्तर लेखन किया जा रहा है, जो कि समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहा है। हाल ही में इनका पहला काव्य संग्रह ‘तेरी रूह से गुज़रते हुए’ प्रकाशित हुआ है। ‘प्रांजल धारा’ पत्रिका के प्रबंध संपादक का दायित्व निभाते हुए अवसाद पर इनका अनुसंधान अनवरत जारी है। युवा रचनाकार सरोज मिश्रा ने 13 वर्षों तक अध्यापन कार्य भी किया है। इनका अपना ‘शब्द कलरव’ नाम से यू-टयूब चैनल भी है। कई समाजसेवी संस्थाओं से जुड़कर रचनाकार समाज सेवा में भी रत हैं। 12 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन ,फीजी में इनके शोध पत्र  ‘महत्वकांक्षाओं की उड़ान कितनी ऊँची?’ को सराहा गया है।  
सम्प्रति: वाराणसी (नोएडा)- भारत में स्थायी निवास।

 

 

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