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अनुभूति की मासिक काव्य गोष्ठी में ’जीवन’ की बिखरी छटा

कोला सरस्वती विद्यालय के प्रांगण में आयोजित ’जीवन’ विषयक अनुभूति की मासिक काव्य गोष्ठी में सदस्य कवियों ने अपनी रचनाओं के द्वारा जीवन के अनेक रंग बिखेरे। जीवन जीने की कला पर अशोक मिमानी, जीवन के निराले खेल पर उदय मेघानी, सफल जीवन के अर्थ पर लीलावती मेघानी, पौधों सा परोपकारी जीवन पर नीलम सारडा, जीवन के नज़रिए पर मोहिनी चौरडिया, जीवन में प्रेम व परमार्थ पर रमेश गुप्त ’नीरद’, जीवन के संघर्षों में आशा चुनने की बात कहते हुए शोभा चोरड़िया ने अपनी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं की ख़ूब वाहवाही लूटी। 

कोलकाता से पधारी इस गोष्ठी की विशिष्ट अतिथि श्रीमती निशा कोठारी ने धूपछांव के बीच साँसों को जीवन की आस्था बनाने के गीत गाए व मुक्तक व ग़ज़लें सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया। यथा: “मृत्यु सुनिश्चित है ये माना, बस उसको इतना समझाना, अपने सारे क़र्ज़ चुकाने फिर आते हैं, साँसों की धुन पूरी गाने फिर आते हैं”, “जब तक धड़कन धड़क रही है, तब तक आस रहे बाक़ी, सुख का अमृत भी निकलेगा, पहले दुख का विष पी ले।”

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्रीमान राज हीरामन, मॉरीशस ने मॉरीशस की आज़ादी में हिंदी के महत्त्व को रेखांकित कर इसे संस्कारों की भाषा कहा। फिर आपने “नौकरी चाहिए थी क्योंकि पैसा नहीं था, नौकरी मिली नहीं क्योंकि पैसा नहीं था”, “भूले से तुम मेरी जड़ें इंसान की जड़ों से मत लगाना” जैसी जीवन की विसंगतियों और विद्रूपताओं पर अपनी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। 
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ संगीता जैन ने सरस्वती वंदना से किया। अनुभूति के अध्यक्ष श्री रमेश गुप्त ’नीरद’ ने स्वागत भाषण देने के बाद शॉल से विशिष्ट अतिथि एवं अंगवस्त्र से मुख्य अतिथि श्री राज हीरामन को सम्मानित किया। 

शोभा चोरड़िया ने गोष्ठी का सफल संचालन किया। सचिव डॉ. सुनीता जाजोदिया द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन से गोष्ठी का समापन हुआ। 

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