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चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल का साहित्य: अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

 

जनता सजग, लोकतंत्र सफल—श्रीराम तिवारी आईपीएस

 

हैदराबाद, 1 जनवरी, 2025

श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति तथा हिंदी प्रचार सभा के संयुक्त तत्वावधान में 31 दिसंबर को “चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल का साहित्य” विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी डॉ. सीमा मिश्रा के संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीराम तिवारी (आईपीएस से.नि. आंध्र प्रदेश सरकार) ने अपने वक्तव्य में कहा कि यदि जनता सजग है तो लोकतंत्र सफल होगा। अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान और मोक्ष भारत भूमि में ही मिलता है और कहीं नहीं। उन्होंने कहा श्रीलाल शुक्ल द्वारा रचित उपन्यास उस समय के समाज का दर्पण है। आज व्यक्ति दुखी नहीं है, वह पड़ोसी के सुख से दुखी है। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर कहा कि जैसी सरकार चुनोगे तो उसके परिणाम भी आप वैसे ही भोगोगे। अपने विवेक का प्रयोग कर अच्छे लोगों को चुनें और भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाएँ। 

समारोह के अध्यक्ष प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सुधार तभी होगा जब जनता जागरूक होगी और जनता तभी जागरूक होगी जब सत्य को जानेगी। आपने आगे कहा कि समाज और लोकतंत्र में सुधार करना साहित्यकारों का काम है और हमने यह काम नेताओं के हाथ में दे दिया। परिणामस्वरूप जो विसंगतियाँ श्रीलाल शुक्ल के समय थीं, वही विसंगतियाँ आज भी अंगद की तरह पैर धँसाए बैठी हैं। 

मुख्य वक्ता प्रो. गोपाल शर्मा (पूर्व प्रो. एवं अध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, अरबा मींच विश्वविद्यालय, इथियोपिया, अफ्रीका) ने अपने बीज भाषण में अपने व्यंग्य लेखन और श्रीलाल शुक्ल से भेंटवार्ता के दौरान हुए कई खट्टे-मीठे अनुभव साझा किए। उन्होंने व्यंग्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेक्चर का मज़ा तो तब है, जब सामने वाला समझ जाए कि ये बकवास कर रहा है! 

विशिष्ट अतिथि प्रो. गंगाधर वानोडे (क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र) ने ‘राग दरबारी’ एवं अन्य पुस्तकों पर चर्चा कर अपने विचार साझा किए। 

अफ़ग़ानिस्तान से पधारे मो. फ़हीम ज़लांद ने अपने वक्तव्य में श्रीलाल शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए उनकी रचनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। 

अर्मीनिया से सुश्री अलीना ने अपने ऑनलाइन संदेश में संगोष्ठी के विषय पर चर्चा करते हुए संयोजकों को बधाई दी। 

‘पुष्पक’ संपादक डॉ. आशा मिश्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीलाल शुक्ल ने प्रजातंत्र की पीड़ा को भोगा है। उन्होंने आगे कहा कि राजनीति को समझने के लिए ‘राग दरबारी’ से बेहतर पुस्तक नहीं है। उन्होंने श्रीलाल शुक्ल के कई उपन्यासों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत भले ही इंडिया बन जाए पर रहेगा वह गाँवों का ही देश। 

साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, हैदराबाद की संस्थापक, अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्रा ने संयोजक दंपती डॉ. सीमा मिश्रा व अधिवक्ता पं. अशोक तिवारी एवं उनके सुपुत्र अभियंता चि. आकाश तिवारी को ऑनलाइन माध्यम से आशीर्वाद दिया। 

सम्माननीय अतिथि अनिल कुमार वाजपेयी (से.नि. पुलिस अधीक्षक, गुप्तचर विभाग, तेलंगाना) ने विगत 17 वर्षों से होती आ रही संगोष्ठियों एवं इस बार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में गणमान्य अतिथियों को एक मंच पर एकत्रित करने के लिए विशेष बधाई दी। 

आत्मीय अतिथि नौमीन् सूरपराज कर्लापालेम् ने अपने वक्तव्य में आज की नई पीढ़ी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि युवक पढ़ाई पर कम और फोन पर ज़्यादा ध्यान देती है। साथ ही उन्होंने चुनावी लोकतंत्र एवं ‘राग दरबारी’ पर संक्षेप में प्रकाश डाला। 

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वामन राव ने अपने वक्तव्य में कहा कि चुनाव तंत्र भावनाओं से खेलना/भावनाओं का दुरुपयोग करना है। अपने सुझाव देते हुए कहा कि ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए, लेकिन खेद की बात है कि कोई आवाज़ उठाता नहीं है। साथ ही उन्होंने इस अभूतपूर्व कार्य की सराहना करते हुए इस निरंतर की जाने वाली संगोष्ठी शृंखला के लिया साधुवाद एवं बधाई दी। 

मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के डॉ. इरशाद अहमद ने अपने वक्तव्य में चुनावी लोकतंत्र एवं श्रीलाल शुक्ल के साहित्य पर प्रकाश डाला। 

कार्यक्रम का शुभारंभ अभियंता चि. आकाश तिवारी के शंखनाद एवं सरस्वती वंदना से हुआ। 

कवि एवं उपन्यासकार रवि वैद ने अपने संचालन के माध्यम से मंच व सभागार को बाँधे रखा/मंत्रमुग्ध कर दिया एवं संचालन के दौरान श्रीलाल शुक्ल की रचनाओं के प्रासंगिक उद्धरणों के माध्यम से सभी का ज्ञानवर्धन भी किया। 

संयोजक डॉ. सीमा मिश्रा ने आरंभ में अपने आलेख ‘चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल’ की प्रस्तुति द्वारा संगोष्ठी विषय प्रवर्तन किया तथा अंत में संगोष्ठी में उपस्थित सभी शोधार्थियों, अध्यापकों एवं देश के सभी गणमान्य साहित्यकारों एवं पत्रकारों का आभार प्रकट किया। 

दक्षिण भारत कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा, कान्यकुब्ज ब्राह्मण समिति, हैदराबाद एवं अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा के सदस्यगण एवं ‘कहानीवाला’ ग्रुप के संस्थापक सुहास भटनागर, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) से पधारे मिश्रा दंपती पं। राजेंद्र जोशी ज्योतिर्विद, नदीम हसन, राजशेखर रेड्डी, श्रीमती संगीता अमरेन्द्र पांडे, गिरजा शंकर पांडे, शफ़ीक़, शिल्की मुनमुन शर्मा, अनीता महेश टाठी आदि ने उपस्थिति दर्ज कराई। 

 (प्रतिवेदन: डॉ. सीमा मिश्रा, संगोष्ठी संयोजक) 

चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल का साहित्य: अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

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