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ग़ज़लकार अशोक ‘अंजुम’ की पुस्तक का लोकार्पण

 

“मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा कहाँ ज़िन्दा रहे”

 

अलीगढ़– 9 सितंबर 23, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा, लखनऊ तथा शिखर साहित्यिक संस्था, अलीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में अशोक अंजुम की 101 चुनिंदा की ताज़ा ग़ज़लों की किताब “ग़ज़लकार अशोक अंजुम” (संपादक: श्री बालस्वरूप राही) का लोकार्पण समारोह संत फिदेलिस स्कूल, अलीगढ़ के सभागार में फ़ादर रॉबर्ट वर्गीस के संयोजन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन सुधांशु गोस्वामी ने किया। 

कार्यक्रम में पूज्य संत मुरारी बापू, बॉलीवुड के बेहद चर्चित गीतकार-संवाद लेखक मनोज मुंतशिर, वरिष्ठ साहित्यकार तथा ज्ञानपीठ के पूर्व सचिव श्री बालस्वरूप राही, तथा प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ ने वीडियो के माध्यम से पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तुत किये। 

जितेंद्र कुमार ने अशोक अंजुम के ग़ज़ल संग्रह से दो ग़ज़लों की संगीतमय प्रस्तुति दी। 

सर्वप्रथम भारती शर्मा द्वारा माँ शारदे की वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और अपने वक्तव्य में अशोक अंजुम को उनकी नई पुस्तक के लिए बधाई दी। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि “अशोक अंजुम साहित्य का आकाश हैं और उनकी यह पुस्तक साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. चंद्रशेखर (कुलपति, राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय, अलीगढ़) ने अशोक अंजुम को बधाई देते हुए कहा कि, “अशोक अंजुम की पुस्तक की हरेक ग़ज़ल दिल को छू लेने वाली है।”

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंभुनाथ तिवारी ने कहा कि, “अशोक अंजुम शब्दों की तपिश भली-भाँति जानते हैं इसीलिए उनके लेखन में शब्दों का अद्भुत प्रबंधन दिखाई देता है उनकी यह पुस्तक इस बात का साक्षात्‌ प्रमाण है।”

फ़ादर रॉबर्ट वर्गीस ने अशोक अंजुम को बधाई देते हुए कहा, “अशोक अंजुम के लेखन में एक अनुपम संतुलन देखने को मिलता है जिसकी वज़ह से उनका लेखन और अधिक प्रभावी होता है और जन सामान्य के दिल ओ दिमाग़ को छूता है।”

‘सर’ पर वरिष्ठ कवि कुमार अतुल ने अशोक अंजुम की ग़ज़लों पर बोलने के साथ-साथ उनके एक कई दोहे सुनाते हुए कहा कि “अशोक अंजुम चाहे किसी भी विधा में लिखें वे लोगों के दिलों तक अपने साहित्य के द्वारा अपनी पहुँच बना लेते हैं।”

ओजस्वी कवि डॉ. हरीश बेताब ने कहा, “अशोक अंजुम विभिन्न विधाओं में उस विधा के होकर अपनी क़लम चलाते हैं जैसा अन्यत्र दुर्लभ दिखाई देता है।”

प्रो. फे.आर.आर. आज़ाद ने कहा कि “अशोक अंजुम के घर जाकर देखिए तो ऐसा लगता है जैसे माँ सरस्वती के मंदिर में आ गए हैं।”

इस अवसर पर अशोक अंजुम ने सबका आभार व्यक्त करते हुए अपनी कई ग़ज़लें सुनाईं:

“ज़िन्दगी का ज़िन्दगी से वास्ता ज़िंदा रहे 
 हम रहें जब तक हमारा हौसला ज़िंदा रहे 
मेरी कविता मेरे दोहे गीत मेरे और ग़ज़ल 
मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा कहा ज़िंदा रहे।” 

कार्यक्रम में प्रेम किशोर पटाखा ने भी अशोक अंजुम को शुभकामनाएँ एवं बधाई प्रेषित की। कार्यक्रम में डॉ. सुदर्शन तोमर, डॉ. मधुसूदन शर्मा, डॉ. शंभुदयाल रावत, योगेश सेंगर, पंकज भारद्वाज, अमिताभ शर्मा, टॉम मैथ्यू, विद्यार्णव शर्मा, पूनम शर्मा, नसीर नादान, अरविंद पंडित, शकेब जलाली, अज़ीज़ अहमद आदि शताधिक विद्वान उपस्थित रहे। 

ग़ज़लकार अशोक ‘अंजुम’ की पुस्तक का लोकार्पण

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