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हिन्दू कॉलेज में अभिधा का समापन 

इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा कुछ भी नहींं है।

 

दिल्ली। देश एक व्यक्तिगत इकाई से बनने वाला समूह है परन्तु वर्तमान में देश एक मिथक बना दिया गया है। सरकार को ही देश समझ लेना अनुचित है क्योंकि देश सरकार कहीं से बड़ी सच्चाई है। सुप्रसिद्ध लेखक और पत्रकार प्रियदर्शन ने हिन्दू कॉलेज में हिंदी साहित्य सभा के वार्षिक समारोह 'अभिधा' के दूसरे दिन आयोजित संगोष्ठी 'साहित्य और देश' में कहा कि हमें देश और साहित्य के सम्बन्ध को ठीक ढंग से परिभाषित करने के लिए रवींद्रनाथ ठाकुर जैसे मनीषी को पढ़ना चाहिए। प्रियदर्शन ने विश्व युद्धों की विभीषिका का उल्लेख करते हुए स्मरण किया कि साहित्य हमारे भीतर उन संवेदनाओं का पोषण करता है जिनसे भौगोलिक सीमाओं का अतिक्रमण कर हम बेहतर मनुष्य बन पाते हैं। प्रियदर्शन ने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता ‘देश काग़ज़ पर बना नक़्शा नहींं होता’ को उद्धृत कर कहा कि इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा कुछ भी नहींं है। 

सत्र में युवा कवि अदनान कफ़ील दरवेश ने कहा कि देश एक नक़्शा मात्र नहीं है, यह देश के प्रत्येक व्यक्ति की इकाई से बनने वाला समूह है जो साहित्य के संवेदनशील स्तंभ पर टिका हुआ है। दरवेश ने कहा कि साहित्य मनुष्य के तरलतम रूप को उजागर करता है तथा व्यक्ति के जीवित होने का प्रमाण देता है। उन्होंने अपने नए संग्रह 'ठिठुरते लैम्प पोस्ट' से एक कविता सुनाते हुए अपने वक्तव्य का समापन किया। इसी सत्र में चर्चित पत्रकार भाषा सिंह ने 1950 के संवैधानिक समय की पृष्ठभूमि लेकर समतामूलक अभिव्यक्ति और साहित्य के महत्त्व तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने लेखन क्षेत्र के विविध अनुभवों को साझा करते हुए देश के सामाजिक यथार्थ की पहचान में साहित्य की भूमिका का उल्लेख किया। मूलभूत तथा दिखावटी विकास के तथ्यों का वर्गीकरण करते हुए उन्होंने युवाओं के मन मस्तिष्क से नफ़रत ख़त्म करने के लिए शिक्षा पर ज़ोर दिया। 

इससे पहले विषय प्रस्तावना रखते हुए विभाग के प्रभारी प्रोफ़ेसर रामेश्वर राय ने साहित्य और देश के बहुक्षेत्रीय रिश्तों की चर्चा की। राय ने साहित्य की कालजयिता और सार्वभौमिकता को रेखांकित करने के लिए महाभारत, मैकबेथ और कफ़न जैसी कृतियों का हवाला दिया। 
दूसरे सत्र में अंतर महाविद्यालयी साहित्यिक अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका संचालन जूही शर्मा और नंदिनी गिरी ने किया। इसके निर्णायक मंडल में श्री नौशाद अली, श्री रमेश कुमार और डॉ. अरविंद कुमार संबल शामिल थे। प्रतियोगिता में हंसराज कॉलेज के कुमार मंगलम और कुलदीप प्रथम, द्वितीय मोतीलाल नेहरु कॉलेज के आयुष और उमेश तथा तृतीय स्थान पर श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज के शिवम सिंह और वंशिका शर्मा रहे। 

हिंदी साहित्य सभा के परामर्शदाता डॉ. पल्लव ने अंत में सभी का आभार ज्ञापित किया। 

रिया गौतम व कृतिका
हिंदी विभाग, हिंदू महाविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

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