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क्षितिज साहित्य संस्था की ऑनलाइन संगोष्ठी

“कहानी में कथाकथन के साथ नाट्य दृश्य और संवाद उसे ज़्यादा प्रभावी बनाते हैं।”— श्री बी एल आच्छा

क्षितिज साहित्य संस्था की ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए चेन्नई के वरिष्ठ समालोचक श्री बी। एल। आच्छा ने कहा कि, “कहानियाँ ज़मीनी सच्चाइयों को व्यक्त करती हैं। कहानी का आंतरिक ताना बाना जितना उलझा होता है, पाठक उतना ही कहानी का सहयात्री बनता जाता है। यदि कथा में कहानीकार कम कहे और दृश्य विधान या पात्र सहजता से कह जाए तो पाठक उनके निकट हो जाता है। आधुनिक साहित्य में समय का समाजशास्त्र जितना ज़रूरी है, उतना ही साहित्य की विधाओं का संक्रमण उन्हें प्रयोगशील बनाता है।” 

इस संगोष्ठी में दतिया के कथाकार श्री राज नारायण बोहरे ने अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए ’हल्ला’ कहानी का प्रभावी वाचन किया। यह कहानी ईमानदारी से नौकरी कर रहे अधिकारी श्री बजाज की कहानी है जो राजनैतिक दबाव के कारण बहुत अपमानित होते हैं लेकिन फिर भी अपने संघर्ष पर डटे रहते हैं। 

इंदौर के कथाकार श्री अश्विनी कुमार दुबे ने अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए ’चेकबुक’ कहानी का वाचन किया। यह कहानी आरक्षित चुनाव सीट पर किस प्रकार से दबंग लोग डमी कैंडिडेट खड़ा कर हावी होते हैं उस स्थिति को प्रभावशाली तरीक़े से प्रस्तुत करती है। दोनों कथाकारों ने कहानी की रचना प्रक्रिया पर बातचीत करते हुए यह कहा कि हमारे आस पास जो घटित होता है वह एक लेखक के मन को प्रभावित करता है और उन घटनाओं पर लेखक के मन में जब चिंता और प्रश्न खड़े होते हैं तो वह कहानी का सर्जन करता है। 

संस्था के अध्यक्ष श्री सतीश राठी ने कहा कि, “इस तरह की गोष्ठियों के आयोजन का उद्देश्य यह रहता है कि कहानी लेखन कैसे किया जाए और कहानी की रचना प्रक्रिया क्या होती है इस पर जो प्रश्न अन्य लेखकों के मन में रहते हैं उनका समाधान ऐसी कार्यशाला के माध्यम से प्राप्त हो जाता है इसके अतिरिक्त वर्तमान समय में क्या लेखन हो रहा है वह भी पाठक के समक्ष प्रस्तुत होता है।” 

संगोष्ठी में ज्योति जैन, अंतरा करवड़े, ब्रजेश कानूनगो, संतोष सुपेकर, कनक हरलालका, निधि जैन, संगीता तोमर, शैलेन्द्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं तकनीकी संयोजन श्री दीपक गिरकर ने किया और आभार श्री सुरेश रायकवार ने माना। 

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