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रिश्तों की विविधता और बाज़ारवाद पर आधारित हैः ’पतियों का एक्सचेंज ऑफर’

सुदर्शन सोनी के चौथे व्यंग्य संकलन ‘पतियों का एक्सचेंज ऑफर’ का विमोचन संपन्न

व्यंग्यकार सुदर्शन सोनी की आठवीं पुस्तक चौथे व्यंग्य संकलन के रूप में ’पतियों का एक्सचेंज ऑफर’ का स्वामी विवेकानन्द लायब्रेरी, भोपाल में विमोचन करते हुए श्री मनोज श्रीवास्तव अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने कहा कि प्रशासन के अनुभव और लेखक के अनुभव की आँच से तपकर कई उत्कृष्ट कवि और व्यंग्यकार निकलते हैं। सुदर्शन सोनी इनमें से एक हैं। श्री सोनी थीम आधारित व्यंग्य लिखते हैं जिनमें वे विकृति और विसंगितयों को प्याज के छिलकों की तरह उधेड़ते चले जाते हैं। प्रशासन की मर्यादा व विसंगतियों से उपजे संघर्ष से व्यंग्य व कविता का जन्म होता है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि इस लायब्रेरी में आकर पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं। इसी लायब्रेरी से किताबें इश्यू करवा-करवा कर मैंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और आईएएस बना। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मूर्धन्य साहित्यकार, चिंतक व कुलाधिपति रवीन्द्र टैगौर विश्वविद्यालय डॉक्टर संतोष चौबे ने कहा कि सुदर्शन के व्यंग्य मनोवैज्ञानिक तथ्यों से जुड़े हुए होते हैं। एक ही विषय पर केन्द्रित कर लिखना असल में पेंटिंग की विधा हैं। उनकी शैली शब्दों की पेन्टिंग बनाने की सी है। पुस्तक के कार्टूनों की उन्होंने प्रशंसा की। श्री सोनी के व्यंग्य बाज़ारवाद पर कड़े प्रहार करते हैं। ’पतियों का एक्सचेंज ऑफर’ से यदि एकाध व्यंग्य निकाल दिया जाये तो एक संपूर्ण पुस्तक है। उन्होने कहा श्री सोनी अपने व्यंग्यों को वर्गीकरण, मेनेजमेंट, आदि स्टाईल  से व्यक्त करते हैं। हाँ उनकी कई रचनाओं में वाक्य बडे़-बडे़ होते हैं। इससे कई बार धार पर असर पड़ता है। अतः वाक्य छोटे होना चाहिये। ’मेड मेनेजमेंट’, ’बीबीआई’, ’पत्नी का पति भेदिया माड्यूल’ को उन्होंने अच्छी रचना बताया।

सुप्रसद्धि व्यंग्यकार डॉ. हरि जोशी ने कई उदाहरण देते हुए कहा कि व्यंग्य लेखन एक कठिन विधा है, जिसमें कई बार व्यंग्यकार को प्रशासनिक अथवा सामाजिक प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ता है। उन्होंने नव लेखकों को सृजनात्मकता के कई गुर दिए। उन्होंने कहा कि सुदर्शन सोनी में लिखने की जिजिविषा है, जो उन्हें बहुत आगे ले जाएगी। उनकी भाषा मर्यादित है। उनका नैरन्तर्य उन्हें काफी आगे ले जायेगा। वे एक ही विषय पर पूरा संकलन लिख कर एक तरह से एक नया प्रयोग कर रहे हैं। उनकी पिछली बहुचर्चित पुस्तक ’अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो’ भी इसी थीम पर लिखी गयी थी। व्यंग्यकार श्री प्रियदर्शी खैरा ने व्यंग्य साहित्य का विश्‍लेषण करते हुए श्री सोनी की किताब पर बीज वक्तव्य पढ़ा। उन्होंने कहा कि पुस्तक में युवाओं, प्रोढ़ व बुज़ुर्ग सभी श्रेणियों के दम्पतियों के व्यंग्य सम्मिलत हैं। अतः प्रत्येक पति-पत्नी को इसे पढ़ना चाहिये। उन्होंने जानकारी दी कि श्री सोनी का पिछला बहुचर्चित व्यंग्य संग्रह ’अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो’ ’इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्डस्’ में दर्ज हो चुका है। ’गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्‍ड रिकार्डस्’ द्वारा भी इसे विश्व रिकार्ड की मान्यता दी गयी है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री सुदर्शन सोनी द्वारा अपनी सृजनात्मक यात्रा का संक्षिप्त विवरण देते हुये कहा कि लॉक डाऊन की अत्यन्त कठिन व विपरीत परिस्थितियों में पति-पत्नी के बीच के तनाव के लगातार आ रहे समाचार से मन में विचार आया कि ऐसी एक पुस्तक हो जो कि दम्पतियों के मध्य तनाव कम करने में सहायक हो। इससे इस पुस्तक का जन्म हुआ। श्री सोनी ने एक व्यंग्य ’पति की नीति निर्देशक तत्व दाता’ का पाठन किया। वहीं सुश्री सुभुति सोनी द्वारा पुस्तक के ही एक अन्य व्यंग्य ’वाके मिस्ट्री’ का वाचन कर दर्शकों की प्रशंसा अर्जित की। कार्यकम का संचालन कथाकार चंद्रभान ‘राही’ ने किया। आभार प्रदर्शन कुल सोनी द्वारा करते कहा कि पुस्तक निश्चित रूप से ख़रीद कर पढ़ने योग्य है। 

प्रियदर्शी खैरा 
अध्‍यक्ष, भोजपाल साहित्‍य संस्‍थान भोपाल
 

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