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उन्मेष:अभिव्यक्ति महोत्सव: भव्य अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव-शिमला 

शिमला, १६ जून २०२२: साहित्य, कला और संगीत की विधाओं में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विस्तार देने के लिए ७५वें अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में, अभी तक का विशालतम अंतरराष्ट्रीय महोत्सव मनाया गया। यह उत्सव कला और संस्कृति विभाग, शिमला के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय तथा साहित्य अकादमी के तत्वावधान में, हिमालय की तलहटी की मनोहारी अँचल में, ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित किया गया। माननीय राज्यपाल, राज्यमंत्रियों, ४२५ साहित्यकारों, कलाकारों, मानवतावादियों, राजनेताओं, दूरदर्शन और सिने हस्तियों, प्रकाशकों और उद्यमियों की उपस्थिति में इस समारोह का भव्य आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि इन उपस्थिति व्यक्तियों में विभिन्न क्षेत्रों की पाँच पीढ़ियाँ शामिल थीं। 

इस त्रिदिवसीय समारोह में चर्चाओं, कार्यशालाओं; वाद-विवादों; पुस्तकों के लोकार्पणों; नृत्य-संगीत प्रस्तुतियों; पुस्तक, कला और शिल्पकला से सम्बन्धित प्रदर्शनियों; कहानी-पाठों, फिल्म-स्क्रीनिंग से सम्बन्धित अनेक रंगारंग आयोजन किए गए। ये सभी आयोजन कोई ६० भाषाओं में थे। शिमला में आयोजित इस भारतीय प्रवासी सत्र में विभिन्न विधाओं की हस्तियों में साहित्य को गरिमामयी अभिव्यक्ति प्रदान की गई। विजय शेषाद्री, चित्रा देवकरणी, मंजुला पद्मनाभन (यूएसए), अभय के. (मेडागास्कर), अंजू राजन (दक्षिण अफ्रीका), सुनेत्र गुप्त (यूके) तथा पुष्पिता अवस्थी (नीदरलैंड्स) की सहभागिता विशेष उल्लेखनीय है। 

निःसंदेह, शिमला की पर्वतीय भूमि कवि गुलज़ार की ग़ज़लों, प्रसून जोशी के गीतों, सोनल मानसिंह के संगीतबद्ध नृत्य-प्रस्तुतियों, महमूद फारुकी की दास्तानगोई, पी जय की कचेरी, नाथूलाल सोलंकी की नागदा, महमूद फारुकी की दस्ताने-कर्ण तथा अनेकानेक भक्ति-संगीत एवं जनजातीय संगीत से झंकृत हो उठी। साहित्य और सिनेमा, भारतीय तथा जनजातीय लेखकों के साहित्य, लेस्बियन-गे-बाइसेक्सुअल-ट्रांसजेंडर के साहित्य, मिडिया एवं साहित्य, लोक साहित्य, भक्ति-साहित्य तथा सांस्कृतिक एकनिष्ठा आदि से सम्बंधित प्रस्तुतियों में यह सत्र विशेष उल्लेखनीय रहा। जाने-माने साहित्यकारों और हस्तियों में भैरप्पा, गीतांजलि श्री, दिव्या माथुर, साई परांजपे, दीप्ति नवल, लिंक्स हायेस, डेनियल नेजर्स, चंद्रशेखर कम्बर, नमिता गोखले, सिवा रेड्डी, आरिफ मोहम्मद खान, प्रत्युष गुलेरी, होशंग मर्चेंट, सीतांश यशचन्द्र, विश्वास पाटिल, रंजीत होसकोटे, लीलाधर जगूड़ी, अरुण कमल, सतीश आलेकर, विष्णु दत्त, अनामिका, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के युवा लेखकों की उपस्थिति ने भी इस समारोह को महत्त्वपूर्ण बना दिया। 

निःसंदेह, शिमला साहित्यिक महोत्सव में विशेषतया भारतीय साहित्यकारों तथा भारत से ही सम्बन्ध रखने वाले साहित्य, कला, नाट्य कला और ललित कला के विदेशी सृजकों को अंतरराष्ट्रीय मंच मिला। इस मंच को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और आयोजित सभी कार्यक्रमों को व्यापक आधार पर सराहा गया। 

(प्रेस विज्ञप्ति: डॉ. मनोज मोक्षेंद्र) 

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