आँखें
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु डॉ. सुरेन्द्र वर्मा27 Oct 2018
देखी हमने
भाँति भाँति की आँखें
हँसती रोतीं
झिलमिलाती
मुसकुराती शोख
तैरती आँखें
व्यथित आँखें
झेलती अतिचार
अवश आँखें
बूँद अश्रु की
ठिठकी पलक पे
बह न पाई
भाँति भाँति के
देखा करती दृश्य
दृष्टा है आँख
कह न पाई
देखती चुपचाप
बेबस आँख
डबडबाती
इतराती डूबती
झील सी आँखें
कातर आँखें
रोती भीख माँगती
याचक आँखें
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