बड़े हौले से उसने आज मेरा हाथ छोड़ा है
शायरी | ग़ज़ल पारुल6 Mar 2008
बड़े हौले से उसने आज मेरा हाथ छोड़ा है
कि बरसों बाद मुझको आज मेरे साथ छोड़ा है।
नहीं परखा कभी पहले तो अब ये आज़माइश क्या
मुझे मेरी ही नज़रों में क्यों गुनाहगार छोड़ा है।
मेरी चाहत इबादत पे उन्हे शक़ था उन्हे शक़ है
जला कर रूह तक मेरी मुझे बीमार छोड़ा है।
अजब सी बेख़्याली थी कि हम दीवाने हो बैठे
जगा कर ख़्वाब से हमको बड़ा लाचार छोड़ा है ।
बड़े हौले से उसने आज मेरा हाथ छोड़ा है………
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