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जुगत (भारती पंडित)

एक लंबी-सी कार आइसक्रीम की दुकान पर रुकी। उसमें से एक सुन्दर सी बच्ची बाहर निकली। उसकी माँ साथ थी।

"क्या लगता है, ये औरत आइसक्रीम खरीदेगी?" सड़क के किनारे अंटी खेलते राधो ने बिट्टन से पूछा।

"खरीदती हो तो खरीदे, अपने को कौन सा देने वाली है," बिट्टन ने अंटी पर नज़र गड़ाए हुए उत्तर दिया।

"अबे, देने की बात नहीं है, लेने की जुगत तो भिड़ा सकते हैं न अपन ..."

तभी बच्ची अपनी माँ के साथ दुकान से बाहर आई, हाथ में दो चॉकलेट आइसक्रीम पकड़े थी। राधो ने कुशल शिकारी की तरह अंटी पकड़ी और निशाना साधकर बच्ची के हाथ पर मारी। बच्ची हड़बड़ाई और दोनों आइसक्रीम उसके हाथ से छूटकर नीचे मिट्टी में गिर गई। बच्ची रोने लगी। माँ ने उसे पुचकारते हुए कहा,

"कोई बात नहीं बच्चे, उन्हें छोड़ दो...नई आइसक्रीम लेंगे।"

माँ-बेटी फिर दुकान में घुस गईं। राधो किसी शिकारी की तरह आइसक्रीम पर झपटा, ऊपर लगी मिट्टी अपनी कमीज़ से साफ़ की और एक आइसक्रीम बिट्टन की ओर बढ़ा दी।

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