काश! हम कुछ सीख पायें
संस्मरण | आप-बीती विजयकांत मिश्रा26 Sep 2017
अभी कुछ दिनो पूर्व कोटा से निज़ामुद्दिन जनशताब्दी ट्रेन से यात्रा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिस कोच में हम यात्रा कर रहे थे, हमारे पास एक अंग्रेज़ दंपति भी बैठे थे। कोच में एक बारात भी जा रही थी। बीच यात्रा में 1 घंटे पश्चात शायद उनका चाय-नाश्ते का प्रबंध भी था। जो वो कोटा से ही अरेंज करके लाये थे। सुमेरगंज मंडी आते-आते उनके कुछ सदस्यों ने चाय नाश्ता सर्व करना शुरू कर दिया।
अधिकांश यात्रियों ने नाश्ता बहुत बिगाड़ा। चाय भी कोच में इधर-उधर फैला दी। कुछ समय बाद तो कोच में बदबू आने लगी। हमने उनको सफ़ाई बाबत कहा। उन्होंने कहा कि सफ़ाई वाले आ जायेंगे। बहुत देर बाद सफ़ाईकर्मी आये। वो भी गंदगी देख कर भाग गये । हालाँकि सफ़ाई उनकी ज़िम्मेदारी थी। हमने देखा कि अचानक अंग्रेज़ दंपति उठे। उन्होंने अपने बैग मे से दो बड़ी थैलियाँ निकालीं और दोनों ने धीरे-धीरे गंदगी उठा कर अपनी थैलियों में ठूँस-ठूँस कर भर डाली। सफ़ाई में हमने भी उनका साथ दिया, और उन थैलियों को दरवाज़े के पास रख दिया। फिर वो बीच में आये और अँग्रेज़ी में सबको बोला: "आपके इंडिया मे ही कुछ लोगों को खाने को नही मिलता है, आपने कितना बिगाड़ा है, आप खाने में उतना ही लें जितना आपसे खाया जाये। गंदगी हो जाये तो, ये आपने की है, इसकी सफ़ाई कि ज़िम्मेदारी भी आपकी है। आपने खाया कम और फैलाया ज़्यादा।" उन्होंने आयोजकों को भी लताड़ पिलाई कि आपने स्टेशन पर पार्टी करनी थी, आपने कोच में अरेंज क्यों की?
उन्होंने रेलवे उच्चाधिकारीयों को मोबायल पर ट्वीट भी किया। सवाईमाधोपुर आते ही कुछ रेलवे अधिकारियों के साथ सफाई टीम पूरी तैयारी के साथ खड़ी थी।
काश! हम भारतीय उनसे कुछ सीख पायें।
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